डॉक्टर बनने आए 150 छात्रों का सिर मुड़वाया, क्या है सारा मामला
सेहतराग टीम
लोग अपने बच्चों को किसी भी शिक्षा संस्थान में अच्छी शिक्षा लेने भेजते हैं मगर रैगिंग उन बच्चों की पूरी जिंदगी को खराब कर डालती है। ताजा मामला उत्तर प्रदेश के इटावा का है जहां एक मेडिकल कॉलेज के 150 जूनियर छात्रों को सीनियर छात्रों ने सिर मुंड़वाने और नजरें झुकाकर चलने का फरमान सुना दिया। यही नहीं इन छात्रों के सिर मुंड़वा भी दिए गए। हद तो तब हो गई जब संबंधित विश्वविद्यालय के कुलपति ने इस कृत्य को जायज ठहराने जैसा बयान जारी कर दिया। अब भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) ने इस मामले में दखल देते हुए संबंधित विश्वविद्यालय को नोटिस जारी कर दिया है और पूछा है कि प्रति छात्र एक लाख रुपये की दर से क्यों न विश्वविद्यालय प्रशासन पर 150 लाख रुपये यानी करीब डेढ़ करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाए? यही नहीं इस घटना के जिम्मेदारी सभी सीनियर छात्रों को एक महीने के लिए क्यों न कॉलेज से निलंबित कर दिया जाए, ये भी सवाल पूछा है। यही नहीं कॉलेज का लाइसेंस निलंबित करने जैसा सख्त कदम उठाने के संकेत भी एमसीआई ने दिए हैं।
भारतीय चिकित्सा परिषद के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (एमसीआई बीओजी) ने यह भी पूछा कि क्यों न यूनिवर्सिटी के एमबीबीएस पाठ्यक्रम के वरिष्ठ बैच को कम से कम एक महीने की अवधि के लिये कक्षाएं लेने से रोक दिया जाए। सैफई चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रथम वर्ष के कई छात्रों का सिर मुंड़वाकर कैंपस में उनकी परेड कराई गई थी। इससे संबंधित वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। नोटिस में कहा गया है, ‘क्यों न संस्थान पर रैगिंग की प्रत्येक घटना के लिए 1 लाख रुपये का जुर्माना जगाया जाए।’
नोटिस में कहा गया है कि एमसीआई ने विश्वविद्यालय से 24 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा है, ऐसा करने में नाकाम रहने पर यह माना जाएगा कि उसे इस मामले में कुछ नहीं कहना है और जैसा कि ऊपर संकेत दिया गया है, उसे दंडित किया जाएगा।
सोशल मीडिया पर एक कथित वीडियो क्लिप में छात्र एक पंक्ति में चलते हुए दिखाई दे रहे हैं। उनका मुंडा हुआ सिर झुका है और वह सलाम की मुद्रा में हैं। एक अन्य क्लिप में वह पंक्ति में खड़े दिख रहे हैं।
इस बीच समाचार चैनल पर इस मामले में सख्त कार्रवाई का वादा करने वाले विश्वविद्यालय के कुलपति राज कुमार बुधवार को इस तरह के ‘हल्के’ मामलों में कार्रवाई करने से बचते हुए दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि एक समय रैगिंग छात्रों के बीच चिकित्सा की दुनिया के ‘संस्कार’ (परंपरा या शिष्टाचार) को बढ़ाने का एक तरीका हुआ करता थी। अब उनकी ये टिप्पणी उनपर भारी पड़ती दिख रही है क्योंकि रैगिंग को खुद देश की सुप्रीम अदालत ने गैरकानूनी घोषित कर रखा है।
बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय प्रशासन अब इस नोटिस का जवाब देने के लिए कानूनविदों की राय ले रहा है। यही नहीं रैगिंग के पीड़ित छात्रों पर इस बात के लिए दबाव बनाया जा रहा है कि वो कहें कि उनके साथ कोई रैगिंग नहीं हुई है। ऐसे में पीड़ित छात्र बिना किसी भय के अपनी बात कह पाएं ये तय करना अब प्रशासन की जिम्मेदारी बन गई है। वैसे इटावा के जिलाधिकारी ने अपनी आरंभिक रिपोर्ट में कहा है कि ये रैगिंग का मामला है। जाहिर है कि विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए इस मामले की लीपापोती करना संभव नहीं हो पाएगा।
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